CGMSC घोटाला : ईडी ने मोक्षित कॉर्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा और उनके परिवार की 40 करोड़ की संपत्ति सीज की।

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06अगस्त 2025

रायपुर : छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) के बहुचर्चित दवा खरीद घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ा एक्शन लिया है। मोक्षित कॉर्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा और उनके परिजनों की 40 करोड़ रुपये की संपत्ति को जब्त कर लिया है। यह कार्यवाही हाल ही में 30 और 31 जुलाई को रायपुर समेत 20 ठिकानों पर की गई छापेमारी के बाद सामने आई है। CGMSC दवा घोटाला केस में ईडी ने मोक्षित कॉर्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा और उनके परिवार के सदस्यों की 40 करोड़ की संपत्ति सीज किया गया है। बता दें कि ईडी ने 30 और 31 जुलाई को कारोबारी शशांक चोपड़ा, उनके परिवार के सदस्यों के अलावा स्वास्थ्य अफसरों के कुल 20 ठिकानों पर छापेमारी की थी।

करीब साढ़े 4 सौ करोड़ के दवा खरीद घोटाले की ACB-EOW जांच कर रही है। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग में बड़े सप्लायर मोक्षित कार्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा समेत अन्य 6 लोग जेल में हैं। इनमें स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी हैं। घोटाले की जांच में अब ईडी की भी एंट्री हाे गई है। ईडी भी इस मामले में अपनी कार्यवाही जारी रखे हुये है।

सीजीएमएससी रीएजेंट घोटाले की जांच कर रहे EOW ने करोड़ों के रीएजेंट घोटाले में संलिप्त 6 तकनीकी अधिकारी व विभागीय अधिकारियों को दोषी ठहराते हुए स्पेशल कोर्ट में चालान पेश किया गया था। सीजीएमएससी में रीएजेंट खरीदी में हुए करोड़ों के घोटाले का मास्टर माइंड मोक्षित कारपोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा है। मोक्षित कार्पोरेशन ने निविदा हथियाने के लिए घुसखोर तकनीकी अधिकारियों को पहले अपने पक्ष में किया और फिर पर्चेस आर्डर का 0.2 से 0.5 प्रतिशत बतौर कमीशन रिश्वत भी दिया गया है। मोक्षित कार्पोरेशन ने कुछ दूसरी कम्पनियों से मिलकर पूल टेंडरिग की थी। दूसरी कम्पनियों के दाम अधिक थे, वहीँ कम दाम होने पर मोक्षित कॉर्पोरेशन को ठेका दे दिया गया था। इसके बाद मोक्षित ने काफी ज्यादा दामों पर सप्लाई की गई है।

कैसे हुआ घोटाला? :

इस जांच में सामने आया है कि शशांक चोपड़ा ने तकनीकी अधिकारियों को रिश्वत देकर निविदाएं हड़पीं। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी कर पूल टेंडरिंग की गई, जिसमें अन्य कंपनियों के मुकाबले कम कीमत दर्शाकर ठेका मोक्षित को दिलाया गया, फिर सप्लाई महंगे दामों पर की गई। उदाहरण के तौर पर, 8 रुपये की दवा 23 रुपये में सप्लाई की गई। इसके अलावा ट्रीटमेंट मशीनें महंगे दामों पर खरीदी गईं, लेकिन सभी जगह स्थापित नहीं की गईं थी। वहीँ कुछ मशीनें इंस्टॉल होने के बाद भी अचानक लॉक कर दी गईं, जिससे शासन को भारी नुकसान हुआ। केवल रीएजेंट की बर्बादी से ही करीब 95 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। इस घोटाले से सरकार को औसतन 450 करोड़ की चपत लगी है।

कानूनी कार्यवाही और कोर्ट का रुख :

EOW और ACB ने IPC की धारा 409 (विश्वासघात) और 120B (षड्यंत्र), साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। कई सरकारी अफसरों की गिरफ्तारी हो चुकी है। शशांक चोपड़ा ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने याचिका खारिज कर दी। अब ईडी की जांच शुरू होने से मामले ने नया मोड़ ले लिया है। संपत्ति जब्ती के साथ इस घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल की भी पड़ताल हो रही है। सूत्रों के अनुसार आगे और भी गिरफ्तारियां और संपत्तियां जब्त हो सकती हैं।

इस मामले में ईओडब्ल्यू और एसीबी ने भारतीय दंड संहिता की धारा 409 एवं 120 बी तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13(1)(ए, 13(2) एवं 7(सी) के तहत अपराध दर्ज किया है। कई सरकारी अफसरों को भी गिरफ्तार किया गया, जो इसमें शामिल रहे। शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार कर कोर्ट के आदेश पर जेल भेज दिया गया। उसने अपनी जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका पेश की। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की सिगल बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई उपरांत कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जमानत आवेदन को खारिज कर दिया था