जय बाबा थावर दास साहेब जी की पूज्य श्री मैहड़ दरबार साहब तोरवा बिलासपुर में चंद्र महोत्सव और श्री गुरु पूर्णिमा महोत्सव एक साथ बड़े ही धूमधाम से हर्षो उल्लास के साथ मनाया गया जिसमें संत सांई नारायण दास श्री मैहड़ दरबार साहिब कटनी से विशेष रूप से इस अवसर पर बिलासपुर पहुंचे कार्यक्रम सुबह 10:00 बजे गुरु देव का पंचामृत से स्नान कराया गया नेय वस्त्र धारण कराए गए विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की गई आरती की गई भजन कीर्तन गाए गये, आए हुए सभी भक्तों के लिए आम भंडारा का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में भक्तों ने भंडारा ग्रहण किया संध्या 8:00 बजे कार्यक्रम की शुरुआत रामधुनी से की गई 8:30 बजे श्री पूज्य बाबा थवरदार साहब चालीसा का पाठ किया गया तब पश्चात संत नारायण सांई जी ने अपनी अमृतवाणी में सभी भक्तों को चंद्र महोत्सव और गुड्डी पूर्णिमा के आज का आयोजन की बधाइयां दी वह साथ में आज हरियाली तीज की भी शुभकामनाएं दी और बताया कि आज से 15 दिन तक भगवान श्री कृष्ण जी झूले में झूलते हैं जैसे यहां पर भी दरबार साहब में बाबा थावर दास साहब जी को झूले में रखा गया है ताकि भक्त जन इनको झुलाए और आज से सावन झूला महोत्सव भी आरंभ हो चुका है।


इस अवसर पर
एक छोटी सी कथा सुनाई उन्होंने बताया कि कटनी शहर से दूसरे शहर दरबार साहिब का एक जुड़ा हुआ व्यक्ति 🚶 जाता है कोटा राजस्थान वहां पर कोचिंग करता है आईपीएस की पढ़ाई के लिए जिस हॉस्टल में वह रहता है वहां पर अलग-अलग शहरों से अन्य चार युवक भी रहते हैं टोटल अब यह पांच लोग वहां रहने लगे पढ़ाई गुरु की कृपा से अच्छी चल रही थी समय बितता गया अब वह समय आ गया जब उसके शहर मध्य प्रदेश कटनी में मेहड़ दरबार में बाबा थावर दास साहेब जी की वर्षी महोत्सव मनाया जाता था वह उदास बैठा हुआ था तब उसके अन्य दोस्तों ने पूछा क्या बात है भाई गोविंद तुम उदास क्यों हो चुप क्यों हो तो उसने अपने सारे दोस्तों को राम श्याम घनश्याम और कृष्णा को सारी बात बताई कि मैं कटनी में रहता हूं और दरबार साहब से जुड़ा हुआ हूं और इस समय वर्षी महोत्सव वहां चल रहा होगा ओर मैं बहुत आनंद से तीन दिन वहां पर वर्षी में शामिल होता था भजन कीर्तन सुनता था ,
संतों की अमृतवाणी का रसपान करना और सबसे स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद चखना और सारे भोजन में से सबसे आखरी में मिलती थी खीर वह तो सबसे लाजवाब और टेस्टी थी हर दिन अलग-अलग खीर मिलती थी कभी चावल की कभी सेवई की आखिरी में साबूदाना की तो मैं खीर बहुत ज्यादा खाता था खाना कम खाता था यह सारी बातें मुझे याद आ रही है कि 3 दिन में जैसे स्वर्ग में मैं रहता था ऐसा लगता था पर आज मैं यहां पढ़ाई कर रहा हूं और छुट्टी मिल नहीं रही है तो सब मुझे याद आ रहा है इसलिए उदास बैठा हूं तो सारे दोस्तों ने कहा है तू चिंता मत कर बाजार चलते हैं और खीर का सारा सामान लेकर आते और हम यहीं पर खीर बनाकर सब खाएंगे एंजॉय करेंगे सभी दोस्त बाजार से खीर का सारा सामान लाते हैं मेहनत करके खीर की तैयारी की जाती है बड़े से बर्तन में 5 किलो दूध चावल फ्रूट खोवा सब डालकर मिक्स करके रख देते हैं और हाल में आकर आपस में बात करने लगते हैं समय निकल जाता है 2 घंटा उन्हें पता ही नहीं चलता बातों में तब याद आता है कि अरे हमने तो वहां पर खीर रखकर आई है जैसे तब जाकर देखते हैं किचन में तो 5 किलो दूध की खीर एक पाव बन जाती है पूरा दुध भाप बनकर उड़ जाता है अब सारे दोस्त बोलते हैं अब किया करे खीर खाली एक पाव बची है और हम पांच लोग हैं अगर खाएंगे तो दो चम्मच मिलेगी पेट किसी का नहीं भरेगा और कोई ठीक से आनंद भी नहीं ले पाएगा तो क्या करें तो सभी विचार विमर्श करने के बाद बोलते हैं खीर को यही ढक कर रख दो सभी चलते हैं सोने के लिए टाइम भी बहुत हो गया है 🌄 सुबह उठेंगे जिसका सपना अच्छा होगा वही सारी खीर खाएगा तो सब 😴सो जाते हैं सुबह 6:00 बजे सबसे पहले नींद खुलती है कृष्णा की वह उठता है और बाकी दोस्तों को उठाता है उठो उठो मैंने बहुत अच्छा सपना देखा है सबसे पहले खीर अब पूरी मैं खाऊंगा सबको उठाता है और कहता है कि 🙋मैंने बहुत बढ़िया सपना देखा है मैंने देखा कि मैं स्वर्ग में हूं और ईद्र की सभा में बैठकर बढ़िया आनंद ले रहा हूं चारों तरफ अप्सराय नृत्य कर रही हैं और मैं फल फ्रूट का आनंद ले रहा हूं तो अब मैं ही खीर खाऊंगा
इससे अच्छा सपना तो और कोई हो नहीं सकता तब दूसरा मित्र कहता है रुको भाई 🙋मैंने भी सपना देखा है मैं भगवान भोलेनाथ का भक्त हूं और सावन माह चल रहा है मैंने देखा कि मैं कैलाश पर्वत पर पहुंचा हूं और आप लोग मंदिर में पूजा करते हैं मैं तो प्रत्यक्ष भगवान भोलेनाथ की सावन के माह में पूजा कर रहा हूं आरती कर रहा हूं और उनके दर्शन कर रहा हूं तो फिर मैं खीर खाऊंगा तब तीसरा दोस्त कहता है घनश्याम रुको भाई मैं बजरंगबली का भक्त हूं तो 🙋मैंने सपने में देखा बजरंगबली स्वयं आकर मुझे राम कथा करवा रहे हैं रामधुनी करवा रहे हैं राम का भजन करवा रहे हैं तो स्वयं बजरंगबली आकर ऐसा करवा रहे हैं तो इसलिए पहले खीर मैं खाऊंगा तब चौथा मित्र कहता है रुको भाई मैं माता का भक्त हूं 🙋मैंने भी सपना देखा है की माता रानी का में दर्शन कर रहा हूं और माता शेर पर सवार होकर आई है तो फिर मैं खीर खाऊंगा तब देखते हैं सामने गोविंद चुपचाप बैठा है कुछ नहीं बोल रहा है तो सब पूछते हैं भाई गोविंद तू बता तुमने कौन सा सपना देखा है तो गोविंद चुप हो जाता है कुछ नहीं बोलता है सब फिर पुछते है गोविंद तुमने कोई सपना देखा है कि नहीं , गोविंद कुछ नहीं बोलता है चुप रहता है तब चारों आखरी बार फिर
पूछते गोविंद तू बता भाई तूने क्या देखा है चुप क्यों है तब गोविंद कहता एक शर्त है जब मैं सारी बात बताऊंगा तो आप लोग चुप रहेंगे और मुझे कुछ नहीं करेंगे तो सभी दोस्त बोलते ठीक है हम वादा करते हम तुम्हें कुछ नहीं करेंगे बताओ तब गोविंद कहता है मैंने सपने में देखा की स्वयं बाबा थावरदास साहब जी मेरे पास आए हैं और कह रहे हैं गोविंद तू यहां सो रहा है और उधर खीर पड़ी है वह खराब हो जाएगी सुबह तक चल उठ और चल के खीर को खां ले इधर तेरी नींद खराब होगी उधर तेरी खीर खराब हो जाएगी तब गोविंद कहता है बाबा जी मैं अकेला खीर कैसे खाऊंगा मेरे मित्र लोग भी मेहनत करके खीर बनाई है तो इनको भी खिलानी चाहिए बाबा जी ने कहा ठीक है इन्हें उठा कर ले चलो तो मैं तुम सबको उठा रहा था उठो भाई उठो उठो चलो खीर खानी है तो तुम सब लोग सोए हुए थे तो कोई स्वर्ग गया था तो कोई कैलाश पड़ गया था तो कोई उधर गया था तो कोई भजन कीर्तन कर रहा था तो तुम लोग नहीं आए तो मैं अकेला जाकर खीर पूरी खा लिया खाकर फिर आकर सो गया ,
गोविंद की यह बात सुनकर सभी लोग हंसने लगे और कहने लगे वाक्यइ में तुम बहुत बड़े चतुर हो खीर का पूरा आनंद तुमने लिया है और तुम सच्चे भक्त हो बाबा थावरदास साहिब जी के तुम्हें ही खीर मिलनी चाहिए थी कार्यक्रम के आखिर में कई भक्ति भरे भजन गाए गए जिसे सुनकर उपस्थित भक्तजन झुम उठे, आखिर में आरती की गई अरदास की गई पल्लव पाया गया प्रसाद वितरण किया गया आए हुए सभी भक्तजनों के लिए आम भंडारा का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में भक्तों ने भंडारा ग्रहण किया आज के इस पूरे कार्यक्रम को सफल बनाने में बाबा मैहड़ दरबार तोरवा बिलासपुर के सभी सेवादारियों का विशेष सहयोग रहा।
